कायर मत बन
नरेंद्र शर्मा
Class 10 Hindi (elective)
आलोक भाग-2
1. 'सही' या 'गलत' रूप में उत्तर दो।
(क) कवि नरेंद्र शर्मा व्यक्तिवादी गीतिकवि के रूप में प्रसिद्ध है?
उत्तरः सही।
(ख) नरेंद्र शर्मा की कविताओं में भक्ति एवं वैराग्य के स्वर प्रमुख है?
उत्तरः गलत।
(ग) पंडित नरेंद्र शर्मा की गीत-प्रतिभा के दर्शन छोटी अवस्था में ही होने लगे थे?
उत्तरः सही।
(घ) 'कायर मत बन' शीर्षक कविता में कवि ने प्रतिहिंसा से दूर रहने का उपदेश दिया है?
उत्तरः गलत।
(ङ) कवि ने माना है कि प्रतिहिंसा व्यक्ति की कमजोरी को दर्शाती है?
उत्तरः सही।
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2. पूर्ण वाक्य में उत्तर दो:
(क) कवि नरेंद्र शर्मा का जन्म कहाँ हुआ था?
उत्तरः कवि नरेंद्र शर्मा का जन्म सन 1913 में उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिलांतर्गत जहाँगीर नामक स्थान में हुआ था।
(ख) कवि नरेंद्र शर्मा आकाशवाणी के किस कार्यक्रम के संचालक नियुक्त हुए थे?
उत्तर: कवि नरेंद्र शर्मा आकाशवाणी के 'विविध भारती' कार्यक्रम के संचालक नियुक्त हुए थे।
(ग) 'द्रौपदी' खंड काव्य के रचयिता कौन है?
उत्तर: 'द्रौपदी' खंड काव्य के रचयिता नरेंद्र शर्मा जी है।
(घ) कवि ने किसे ठोकर मारने की बात कही है?
उत्तर: अपने मंजिल के बीच बाधा उत्पन्न करने वाले पत्थरों अर्थात अपने कठिनाइयों को कवि ने ठोकर मारने की बात कही है।
(ङ) मानवता ने मनुष्य को किस प्रकार सींचा है?
उत्तर: मानवता ने मनुष्य को खून पसीने से सींचा है।
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(च) व्यक्ति को किसके समक्ष आत्म-समर्पण नहीं करना चाहिए?
उत्तर: व्यक्ति को दुष्ट-प्रवृत्ति वाले लोगों के समक्ष आत्म-समर्पण नहीं करना चाहिए।
3. अति संक्षिप्त उत्तर दो:
(क) कवि नरेंद्र शर्मा के गीतों एवं कविताओं की विषयगत विविधता पर प्रकाश डालिए।
उत्तर: कवि नरेंद्र शर्मा आधुनिक हिंदी काव्य धारा के अंतर्गत गीती-कविता के रचयिता के रूप में प्रसिद्ध है। उन्होंने कई तरह के विषयों पर गीतों एवं कविताओं की रचना की है। जिनमें व्यक्तिगत प्रणयानुभूति, विरह-मिलन के चित्र, सुख-दुख के भाव, प्रकृति-सौंदर्य, आध्यात्मिकता, रहस्यानुभूति, राष्ट्रीय भावना और सामाजिक विषमता के चित्रण के साथ-साथ सामाजिक यथार्थ और प्रगतिशीलता के भी दर्शन देखने को मिलते हैं।
(ख) नरेंद्र शर्मा जी की काव्य-भाषा पर टिप्पणी प्रस्तुत करो।
उत्तर: नरेंद्र शर्मा जी की काव्य-भाषा सरल, प्रांजल एवं सांगीतिक लय-युक्त खड़ी बोली है। उन्होंने अपने सरल प्रवाहमयी भाषा के जरिए कोमल और कठोर दोनों ही प्रकार के भावों को काव्य में स्थान दिया है। कहीं-कहीं माधुर्य एवं प्रसाद गुणों की बहुलता के साथ उनके रचनाओं में ओज गुण का भी संचार हुआ है। आत्मीयता, चित्रात्मकता और सहज आलंकारिकता उनकी काव्य भाषा के तीन विशेष गुण है।
(ग) कवि ने कैसे जीवन को जीवन नहीं माना है?
उत्तर: जो लोग अपने जीवन राह पर आने वाले कठिनाइयों तथा मुश्किल परिस्थितियों का आसाम न करके उससे घबराकर मुंँह मोड़कर पीठ दिखाकर भागने लगता है, तथा अपने जीवन के साथ समझौता कर जीने लगता है,
ऐसे कायर लोगों के जीवन को कवि ने जीवन नहीं माना है।
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(घ) कवि ने कायरता को प्रतिहिंसा से अधिक अपवित्र क्यों कहा है?
उत्तर: कवि ने कायरता को प्रतिहिंसा से अधिक अपवित्र कहा है क्योंकि अगर हिंसा करने वाला व्यक्ति प्यार से न समझे, तो हिंसा के बदले हिंसा करना भी कभी कभार जरूरी हो जाता है। लेकिन हिंसा को सहन कर या परिस्थितियों से घबराकर हार मान लेना कायरता कहलाता है। जो की प्रतिहिंसा से भी अधिक अपवित्र है।
(ङ) कवि की दृष्टि में जीवन के सत्य का सही माप क्या है?
उत्तर: कवि की दृष्टि में जीवन के सत्य का सही माप मानवता की रक्षा करना है। जो व्यक्ति अपनी चिंता न करके समाज के हित के लिए अपना सब कुछ न्योछावर कर अच्छा कार्य करता है, वही मानवता की रक्षा करता है।
4. संक्षेप में उत्तर दो:
(क) 'कायर मत बन' शीर्षक कविता का संदेश क्या है?
उत्तर: 'कायर मत बन'
शीर्षक कविता का संदेश है कि मनुष्य जो भी बने बस कायर न बने। क्योंकि कायरता कमजोर लोगों की निशानी है। अपनी मंजिल की राह खुद चुने और कठिन परिस्थितियों का डटकर सामना करें। दुष्टों के समक्ष न तो कोई समझौता करें और न ही आत्मसमर्पण। उन्हें पहले प्यार से समझाएंँ, अगर प्यार से न माने तो हिंसा का जवाब प्रतिहिंसा से दे। कविता का सबसे महत्वपूर्ण संदेश यह रहा है कि मानवता एवं समाज के हित के लिए अपना योगदान दें। यहांँ तक कि मानवता की रक्षा के लिए अपना सब कुछ बलिदान कर दे। क्योंकि मानव ही है जो समाज को सही दिशा दिलाती है।
(ख) 'कुछ न करेगा? क्या करेगा-रे-मनुष्य-बस कातर क्रंदन'- का आशय स्पष्ट करो।
उत्तर: प्रस्तुत पंक्तियों के माध्यम से कवि यह कहना चाहते हैं कि जीवन के कठिनाइयों के साथ समझौता करके गम के आंसू रोने से क्या फायदा। कब तक कायर बने रहेंगे। मानवता के खातिर सदियों से कईयों ने अपना खून पसीना बहाया है और उसी मानवता के खातिर क्या अब हमें कुछ नहीं करना है। कब तक उन मुश्किलों का रोना रोते रहेंगे, आंँसू पीकर कब तक जिएंगे। तथा कवि का आह्वान है कि हमें कायरता को त्यागकर अपने मार्ग में आने वाली बाधाओं का सामना व दृढ़ता के साथ मुकाबला करना चाहिए।
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(ग) 'या तो जीत प्रीति के बल पर, या तेरा पथ चूमे तस्कर' का तात्पर्य बताओ।
उत्तर: कायरता को त्याग कर कुछ कर गुजरने का उपदेश देते हुए कवि कहते हैं कि अगर कोई दुष्ट हमें युद्ध करने के लिए आमंत्रित करें तो उनके साथ समझौता कर या दया दिखाने से कोई फायदा नहीं है। ऐसा करने से वह हमें डरपोक समझेगा। जहांँ पर हिंसा जरूरी है वहांँ पर हिंसा ही करनी चाहिए। तभी दुष्टों को हमारे बल का ज्ञान होगा। तथा हिंसा का जवाब प्रतिहिंसा से देना आवश्यक हो जाता है।
(घ) कवि ने प्रतिहिंसा को व्यक्ति की दुर्बलता क्यों कहा है?
उत्तर: कवि ने प्रतिहिंसा को मनुष्य का कमजोर पक्ष माना है। क्योंकि प्रतिहिंसा मनुष्य की मानसिक दुर्बलता को दर्शाता है। जब मनुष्य मुस्लिमों का सामना नहीं कर पाता तो अपना आपा खोकर हिंसा का पथ अपनाता है। कवि के अनुसार विवेकशील एवं ज्ञानी व्यक्ति हिंसा से भरे मनुष्य का दिल भी प्यार भरे वाणियों से जीत लेता है। तथा उन्हें भी अहिंसा के पथ पे ले आते हैं। अगर हम हिंसा का जवाब अहिंसा से न देकर हिंसा पर उतर आते हैं तो हम कायर ही कहलाएंगे। इसलिए कवि ने प्रतिहिंसा को व्यक्ति की दुर्बलता कहा है।
5. सम्यक उत्तर दो:
(क) सज्जन और दुर्जन के प्रति मनुष्य के व्यवहार कैसे होने चाहिए? पठित 'कायर मत बनो' कविता के आधार पर उत्तर दो।
उत्तर: सज्जन व्यक्ति समाज की नींव होती है। सज्जन यानी अच्छे प्रवृत्ति के लोग, जो हमेशा समाज के भले के लिए कार्य करते हैं। यू कहे तो सज्जन व्यक्ति ही मानवता की रक्षा करते आए हैं। ऐसे व्यक्ति हमेशा खुद की चिंता न करके दूसरों की चिंता करते हैं। तथा हमें ऐसे लोगों को हमेशा आदर और सम्मान देना चाहिए। दूसरी और दुर्जन व्यक्ति जो खुद की सोचता है और समाज को हानि पहुंँचाता है। हिंसा फैलाकर दूसरों पर जीत हासिल करना पसंद करता है। ऐसे दुष्ट प्रवृत्ति के लोगों के साथ पहले तो प्यार से पेश आना चाहिए। अगर प्यार से न माने तो उनका मुकाबला प्रतिहिंसा से देना चाहिए। जब तक वह सही रास्ते पर न आए उनका मुकाबला करते रहना चाहिए। अगर उनका मुकाबला न करके उनके साथ समझौता करेंगे तो वह हमें कमजोर समझेंगे। जो कि एक कायरता की निशानी है। इसलिए उनके लिए हमें जो भी बनना पड़े बनना है, पर कायर नहीं बनना है।
(ख) 'कायर मत बन' कविता का सारांश लिखो।
उत्तर: 'कायर मत बन'
कविता में कवि नरेंद्र शर्मा जी ने मानवता को जगाते हुए पुरुषार्थ, साहस एवं अडिग-अविचल भाग का संदेश दिया है। कवि का आह्वान है कि मनुष्य जो भी बने पर कायर मत बने। क्योंकि कायरता कमजोर लोगों की निशानी है। अपने जीवन मार्ग पर कितने भी मुश्किल परिस्थितियाँ क्यों न आए उन से लड़े, उनका सामना करें, लेकिन उनके साथ समझौता न करें। क्योंकि समझौता करके हमें कुछ नहीं मिलेगा शिवाय गम के आंँसू के। इसीलिए गम के आंँसू रोने से अच्छा है कुछ करें उनका मुकाबला करें, तभी मानवता की रक्षा होगी। यदि दुष्ट लोग युद्ध के लिए हमें ललकारे तो उनसे घबराकर या पीठ दिखाकर भागने की बजाय प्यार के बल पर उसे जीतने की कोशिश करें। अगर न माने तो उनकी हिंसा का जवाब प्रतिहिंसा से दे। प्रतिहिंसा भी किंतु मनुष्य की कमजोरी को दर्शाता है। परंतु कायरता उससे भी अधिक अपावन होती है।
कवि का कहना है कि जो मनुष्य समाज के बारे में न सोचकर अपनी सोचता है,
उसका इस दुनिया में कोई मोल नहीं है। पर मानवता के लिए कार्य करना अमोल है। इसलिए अपना समस्त बलिदान करके मानवता के हित के लिए कार्य करना चाहिए। दुष्ट व्यक्ति के समक्ष आत्मसमर्पण न करके उनके साथ मुकाबला करना चाहिए। अर्थात समस्त कविता के जरिए कवि हमें निडर बनकर कायरता से मुक्त होने का संदेश दे रहे हैं।
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6. प्रसंग सहित व्याख्या करो:
(क)"ले-देख कर जीना....... युद्ध तक खून-पसीना।"
उत्तर:
संदर्भ: प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी हिंदी पाठ्यपुस्तक आलोक भाग-2 के अंतर्गत नरेंद्र शर्मा जी द्वारा रचित 'कायर मत बन'
कविता से लिया गया है।
प्रसंग: इन पंक्तियों के जरिए कवि का आह्वान है की मुश्किल परिस्थितियों के आगे समझौता न करके उनसे मुकाबला करें।
व्याख्या: जो व्यक्ति जीवन के मुश्किल घड़ी में हार मानकर हालात के आगे समझौता कर लेता है वह हमेशा गम के आंसू पीता रहता है। ऐसे लोगों का समाज में कोई योगदान नहीं रहता। तथा वे खुद ऐसे समाज में जी रहे हैं, जहांँ मानवता के खातिर कईयों ने अपना खून पसीना बहाया है। इसलिए कवि का कहना है कि कुछ न कुछ करो ऐसे बाधाओं पर आंँसू बहाने से क्या फायदा। उनका सामना करो। यूंँ ही बैठे कायर मत बनो।
(ख)"युद्ध देहि' कहे जब...... तेरा पथ चूमे तस्कर।"
उत्तर:
संदर्भ: प्रस्तुत पंक्तियांँ हमारी हिंदी पाठ्यपुस्तक आलोक भाग-2 के अंतर्गत नरेंद्र शर्मा जी द्वारा रचित 'कायर मत बन'
कविता से लिया गया है।
प्रसंग: इस पंक्ति के जरिए कवि शत्रु द्वारा दिया गया हिंसा का जवाब प्रतिहिंसा से देने की बात कही है।
व्याख्या: अगर दुष्ट व्यक्ति हमें युद्ध के लिए ललकारे तो उनके हिंसा और अत्याचार को अगर घबराकर सहन कर लेंगे तो वह हमें कमजोर समझेगा। जो कि एक कायरता की निशानी है। इसलिए कवि का आह्वान है कि हमें यूंँ ही न बैठकर उसका उत्तर प्यार के बल से देना चाहिए। अगर वह हिंसा का जवाब हिंसा से चाहता है तो उसका उत्तर प्रतिहिंसा से ही देना चाहिए। हिंसा मानसिक कमजोरी होती है। लेकिन कायरता हिंसा से भी अधिक अपवित्र होती है। इसलिए कभी-कभी हिंसा के बदले हिंसा जरूरी हो जाता है।
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