चिट्ठियों
की अनूठी दुनिया
श्री अरविंद कुमार सिंह
Chitthiyo ki Onuthi Duniya |
1. सही विकल्प का चयन करो:
(क) पत्र को उर्दू में क्या कहा जाता है?
उत्तर: पत्र को उर्दू में खत कहा जाता है ।
(ख) पत्र लेखन क्य़ा है?
उत्तर: पत्र लेखन एक कला है।
(ग) विश्व डाक संघ ने पत्र लेखन की प्रतियोगिता शुरू की-
उत्तर: विश्व डाक संघ ने पत्र लेखन की प्रतियोगिता सन 1972 से शुरू की।
(घ) महात्मा गाँधी के पास दुनियाभर से तमाम पत्र किस पते पर आते थे?
उत्तर: महात्मा गाँधी के पास दुनियाभर से तमाम पत्र महात्मा गाँधी- इंडिया पते पर आते थे।
(ङ) तमाम सरकारी विभागों की तुलना में सबसे ज्यादा गुडविल किसकी है-
उत्तर: तमाम सरकारी विभागों की तुलना में सबसे ज्यादा गुडविल
डाक विभाग है ।
2. संक्षिप्त उत्तर दो:
(क) पत्र ऐसा क्या काम कर सकता है जो संचार का आधुनिकतम साधन भी नहीं कर सकता?
उत्तर: पत्र पढ़ते समय लिखने वाले व्यक्ति के भाव और अनुभूति को स्पष्ट रूप से महसूस किया जा सकता है। जो एक आधुनिक साधन उस प्रकार का अनुभूति नहीं प्रकट कर सकता। आज चाहे जितनी तेजी से संचार माध्यम का विकास हुआ हो, वह कभी पत्र का स्थान नहीं ले सकता। क्योंकि पत्र लिखने और पढ़ने में जो अनुभूति होती है, वह दूसरे साधन में नहीं महसूस किया जा सकता।
(ख) चिट्ठियों की तेजी अन्य किन साधनों के कारण बाधा प्राप्त हुई है?
उत्तर: संचार माध्यमों ने इतनी तेजी से विकास किया है कि चिट्टियाँ का प्रयोग पहले दिनों के मुकाबले कम हो गया है। हालांकि आज भी चिट्ठियों का प्रयोग कई कामों में किया जाता है। पर आज चिट्ठियों की तेजी फैक्स, ई-मेल, टेलीफोन तथा मोबाइल आदि साधनों के कारण बाधा प्राप्त हुई है।
(ग) पत्र जैसा संतोष फोन या एसएमएस का संदेश क्यों नहीं देख सकता?
उत्तर: फोन या एसएमएस में वह आदर तथा प्रेम की भावना उत्पन्न नहीं होती जो एक पत्र पढ़ने में होती है। फोन या एसएमएस द्वारा प्राप्त संदेशों को हम ज्यादा दिनों तक टिका कर नहीं रख सकते। फोन एक यांत्रिक साधन है जो कभी भी खराब हो जाने से उसमें से सारे संदेश समाप्त हो जाते है। पर पत्र के क्षेत्र में ऐसा कुछ नहीं होता। पत्र को हम संजोकर रख सकते हैं। इसलिए पत्र जैसा संतोष फोन या एसएमएस का संदेश नहीं दे सकता।
(घ) गाँधीजी के पास देश-दुनिया से आये पत्रों का जवाब वे किस प्रकार देते थे?
उत्तर: गाँधी जी के पास देश-दुनिया से आये पत्रों का जवाब वे तुरंत ही अपने हाथों से लिख देते थे। जब लिखते-लिखते उनका दाहिना हाथ दर्द करने लगता था तो वे बाएँ हाथ से लिखना शुरू कर देते थे।
(ङ) कैसे लोग अब भी बहुत ही उत्सुकता से पत्रों का इंतजार करते हैं?
उत्तर: आज देश के करोड़ों लोग खतों और अन्य सेवाओं का इस्तेमाल डाकघरों के माध्यम से कर रहे हैं। संचार साधन पहले दिनों के मुकाबले बड़ी तेजी से उन्नत हुआ है। लेकिन आज भी झोपड़ियों, पहाड़ों, समुद्र तट के मछुआरों या फिर रेगिस्तान की ढाणियों में रहने वाले लोग को बड़ी उत्सुकता से पत्रों का इंतजार रहता है। दूर देहात में रहने वाले गरीबों के घर मनीआर्डर आने पर ही चूल्हे जलते हैं। दूसरी ओर दूर सीमा पर तैनात सैनिकों को तो घर से भेजे गए पत्रों का बड़ी बेसब्री से इंतजार रहता है।
3. उत्तर दो:
(क) पत्र को खत, कागज, उत्तरम, लेख इत्यादि कहा जाता है। इन शब्दों से संबंधित भाषाओं के नाम बताओ।
उत्तर: चाहे किसी भी भाषाओं में पत्रों को लिखा जाए उसमें वही अनुभूति और भाव जागृत होगा। अर्थात पत्रों का भाव सब जगह एक सा है, भले ही उसका नाम अलग-अलग हो। हमारे देश में ऐसे कई भाषाएं हैं जहाँ पत्र को अलग-अलग नाम से पुकारा जाता है। जैसे उर्दू में पत्र को खत, संस्कृत में पत्र, कन्नड़ में कागद, तेलुगु में उत्तरम या लेख तथा तमिल में कडिद आदि कहा जाता है। हर एक की अपनी पत्र लेखन कला है और हर एक के पत्रों का अपना दायरा।
(ख) पाठ के अनुसार भारत में रोज कितनी चिट्टियाँ डाक में डाली जाती है और इससे क्या साबित होता है?
उत्तर: पाठ के अनुसार भारत में रोज साढ़े चार करोड़ चिट्टियाँ डाक में डाली जाती है। शहरी क्षेत्र हो या गाँव, बर्फीले पहाड़ हो या रेगिस्तानी इलाके सभी के घरों में चिट्ठी या मनीऑर्डर का इंतजार रहता है। इससे यह साबित होता है कि भारत में पत्रों की कितनी ज्यादा अहमियत है।
(ग) क्या चिट्ठियों की जगह कभी फैक्स, ई-मेल, टेलीफोन तथा मोबाइल ले सकते हैं?
उत्तर: चिट्ठियों की जगह कभी फैक्स, ई-मेल, टेलीफोन तथा मोबाइल कभी नहीं ले सकते हैं। क्योंकि इन आधुनिक साधनों से वह अनुभूति व एहसास नहीं मिलता जो कि एक हाथ से लिखे गए पत्रों को पढ़ने से मिलता है। किसी प्रिय जनों के द्वारा दिए गए चिट्ठी को संजोकर रखा जाता है। चिट्ठी जितनी भी पुरानी क्यों न हो उसे फिर से पढ़ने पर वही सुखद अहसास व रोमांच मिलता है। चिट्ठी की यही बात आधुनिक संचार माध्यमों से अलग बनाता है।
(घ) किनके पत्रों से यह पता चलता है कि आजादी की लड़ाई बहुत ही मजबूती से लड़ी गई थी?
उत्तर: आजादी के दौरान दुनिया भर से महात्मा गाँधी, जवाहरलाल नेहरु, भगत सिंह आदि तमाम नायको के नाम पर गाँव-गाँव से हजारों संस्थाओं में पत्र भेजे जाते थे। 'महात्मा गाँधी इंडिया' लिख देने से ही गांधी जी के पास चिट्ठी पहुँच जाती थी। वे भी उस पत्र का उत्तर तुरंत लिख कर भेज देते थे। ऐसे कई पत्र आजादी के नायकों ने अपने देशवासियों को लिखा था और उन पत्रों को आज भी संजोकर रखा गया है तथा कईयों ने तो पत्र को फ्रेम कराकर रख लिया है।इन्हीं पत्रों द्वारा पता चलता है कि आजादी की लड़ाई बहुत ही मजबूती से लड़ी गई थी।
(ङ) संचार के कुछ आधुनिक साधनों के नाम उल्लेख करो।
उत्तर: आधुनिक समाज को उन्नत बनाने में विज्ञान का हाथ है। विज्ञान ने हर क्षेत्र में नए-नए आविष्कारों से जिंदगी को सरल बना दिया है। उसी प्रकार संचार माध्यम भी पहले के मुकाबले आधुनिक साधनों से युक्त हो गए है। जैसे प्रिंट मीडिया में डाक पत्र, सरकारी पत्र, समाचार पत्र, पत्रिकाओं आदि छपने लगे हैं। उसी तरह इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में रेडियो, दूरदर्शन, कंप्यूटर, मोबाइल, टेलीफोन ई-मेल, इंटरनेट, एसएमएस आदि आधुनिक साधनों ने संचार माध्यम को काफी तेजी से विकसित किया है।
4. सम्यक उत्तर दो:
(क) पत्र लेखन की कला के विकास के लिए क्या क्या प्रयास हुए?
उत्तर: पत्र लेखन की कला के विकास के लिए भारत सरकार ने डाक व्यवस्था को सुधारा तथा साथ ही पत्रों को सही दिशा दिलाने के लिए स्कूली पाठ्यक्रमों में पत्र लेखन का विषय भी शामिल करवाया गया है।भारत ही नहीं दुनिया के कई देशों में यह प्रयास चले और विश्व डाक संघ ने अपनी ओर से भी काफी प्रयास किए। 'विश्व डाक संघ' की ओर से 16 वर्ष से कम आयु वर्ग के बच्चों के लिए पत्र लेखन प्रतियोगिताएँ आयोजित करने का सिलसिला सन 1972 से शुरू किया गया।आज भी समय-समय पर कई स्कूलों में निजी तौर पर पत्र लेखन प्रतियोगिताएँ आयोजित होती रहती है।
(ख) वास्तव में पत्र किसी दस्तावेज से कम नहीं है - कैसे?
उत्तर: पत्र सिर्फ भावों या विचारों का आदान-प्रदान नहीं करता बल्कि उन पत्रों से एक जगह से दूसरी जगह की आर्थिक, सामाजिक एवं भौगोलिक वातावरण की जानकारी भी देता है। सहेज कर रखे हुए पुराने पत्र को पढ़ने से उस काल की स्थिति का पता चलता है। जिस प्रकार महात्मा गाँधी और रविंद्र नाथ टैगोर के बीच सन 1915 से 1941 के बीच पत्राचार का संग्रह प्रकाशित हुआ जिसमें बहुत से नए तत्व और उनकी मनोदशा के साथ उस समय देश में हो रहे स्थिति के तत्व मिलते हैं। ऐसे कई पत्र लिखे गए हैं जो कि एक प्रमाण पत्र की तरह कार्य करते हैं। अतः यह कहना गलत नहीं होगा कि वास्तव में पत्र किसी दस्तावेज से कम नहीं हैं।
(ग) भारतीय डाक घरों की बहुआयामी भूमिका पर आलोकपात करो।
उत्तर: भारतीय डाकघर एक ऐसा विभाग है जिस पर लाखों लोग निर्भर करते है। डाकघर लोगों को एक दूसरे से जोड़ने का काम करता है। इसी को संदेश भेजना हो, पार्सल करना हो या मनीऑर्डर करना हो यह सभी काम डाकघर के माध्यम से हर रोज किया जाता है। डाकिया उसे सही जगह पर पहुँचा कर लोगों के मन को संतोष देता है। गाँव एवं बस्तियों में चिट्ठी या मनीऑर्डर पहुंचाने वाला डाकिया देवदूत के रूप में देखा जाता है। क्योंकि लाखों गरीबों के घरों में आज भी चूल्हे मनीऑर्डर अर्थव्यवस्था से ही जलते हैं। भारत के किसी भी कोने में डाकघर के माध्यम से अपना संदेश पहुँचाया जा सकता है और यह काम कई वर्षों से भारतीय डाकघर बखूबी से करता आ रहा है।
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